कार्यकारिणी
कार्यकारिणी का गठन:-
रा.भा.ए.समिति के संरक्षक श्री झण्डूराम भार्गव आजीवन संरक्षक रहेगें। इस पद पर मनोनयन केवल श्री झण्डूराम गौड़ की सहमति से ही हो सकेगा। संरक्षक को किसी भी सदस्य की सदस्यता बिना कारण बताए समाप्त करने का अधिकार रहेगा।पदाधिकारियों एवं सदस्यों का निर्वाचन एवं मनोनयन - हर दूसरे वर्ष समिति के वार्षिक अधिवेशन से पूर्व 30 जून को समिति के आजीवन सदस्यों के रजिस्टर में अंकित समिति सदस्यों में से निर्धारित प्रणाली के अनुसार अगले सत्र तक के लिये निम्नलिखित पदाधिकारी एवं कार्यकारिणी के सदस्य निर्वाचित अथवा मनोनीत हुआ करेंगे। कार्यकारिणी के निर्वाचित पदाधिकारी एवं सदस्य:
अध्यक्ष |
उपाध्यक्ष |
सचिव |
उप सचिव |
कोषाध्यक्ष |
संगठन मंत्री |
सदस्य |
1 |
1 |
1 |
1 |
1 |
1 |
8 |
अर्हता:-
1. किसी भी पद के लिए पद ग्रहण (1 अप्रैल) के दिन से पूरे दो वर्ष कार्यकारिणी सदस्य होना अनिवार्य होगा।
2. निर्वाचन प्रणाली केवल ऑनलाईन वोटिंग द्वारा होगी जो पासवर्ड द्वारा सुरक्षित होगीं।
मनोनीत पदाधिकारी एवं सदस्य:- स्थानीय समितियों के मनोनीत सदस्यों के उपरान्त नवगठित कार्यकारिणी के सदस्यों में से कुल 5 स्थानीय सचिवों का मनोनयन होगा - एक अध्यक्ष के द्वारा और 4 सचिव के द्वारा। जो 4 स्थानीय सचिव, महासचिव द्वारा मनोनीत होंगे, उनकी वरीयता स्वयं महासचिव निर्धारित करेंगे।
अध्यक्ष को 2 सदस्यों का, सचिव को 2 सदस्यों को तथा कोषाध्यक्ष एवं एक सदस्य को कार्यकारिणी में मनोनीत करने का अधिकार होगा, जिनके अधिकार एवं कर्त्तव्य अन्य निर्वाचित/मनोनीत सदस्यों के समान होंगे। ऐसे मनोनीत सदस्यों का मनोनयन के समय उनका सर्व भार्गव एकता एवम् विकास समिति का आजीवन सदस्य होना अनिवार्य होगा।
7.3 सम्बद्ध समितियों द्वारा मनोनीत प्रतिनिधि -
सभी सम्बद्धता प्राप्त स्थानीय भार्गव समितियों के तत्कालीन अध्यक्ष अथवा उसके द्वारा कार्यकारिणी बैठकों में भाग ले पाने की असमर्थता व्यक्त करने की स्थिति में तत्कालीन सचिव पूर्ण सत्र हेतु कार्यकारिणी में मनोनीत सदस्य होंगे। ऐसे मनोनीत सदस्यों का मनोनयन के समय भार्गव समिति का आजीवन सदस्य होना अनिवार्य होगा।
सम्बद्धता प्राप्त स्थानीय समितिं को कार्यकारिणी में निर्धारित संख्या में अपने प्रतिनिधि चुनकर मनोनीत करने का अधिकार होगा। ऐसे मनोनीत समिति सदस्यों का कार्यकाल द्विवार्षिक सत्र का होगा। यह निर्धारित संख्या स्थानीय समिति की निम्नलिखित श्रेणियों के अनुसार उनके सर्व भार्गव एकता एवम् विकास समिति के आजीवन समिति सदस्यों की संख्या पर निर्भर करेगी।
श्रेणी |
सर्व भार्गव एकता एवम् विकास समिति के आजीवन सदस्यों की संख्या |
मनोनीत प्रतिनिधियों की संख्या |
प्रथम |
10 से 25 तक |
अध्यक्ष |
द्वितीय |
26 से 50 प्रति 25 तक |
अध्यक्ष के अतिरिक्त एक |
तृतीय |
101 से 200 |
अध्यक्ष के अतिरिक्त दो |
चतुर्थ |
201 से 400 तक |
अध्यक्ष के अतिरिक्त तीन |
पंचम |
401 से 800 तक |
अध्यक्ष के अतिरिक्त चार |
छठी |
801 से अधिक |
अध्यक्ष के अतिरिक्त पाँच |
सम्बद्धता प्राप्त सर्व भार्गव एकता एवं विकास समिति स्तर की समितिं/संस्थाओं के अध्यक्ष एवं सचिव सर्व भार्गव एकता एवम् विकास समिति की कार्यकारिणी के पदेन सदस्य होंगे। इस समितिं को अध्यक्ष व सचिव के अतिरिक्त दो प्रतिनिधियों को सर्व भार्गव एकता एवम् विकास समिति की कार्यकारिणी के लिये मनोनीत करने का अधिकार होगा। इन पदेन एवं मनोनीत सदस्यों को अन्य कार्यकारिणी सदस्यों के समान अधिकार होंगे। इन सभी सदस्यों को सर्व भार्गव एकता एवम् विकास समिति का आजीवन सदस्य होना अनिवार्य होगा।
7.4 स्थायी आमन्त्रित: समिति के समस्त पूर्व अध्यक्ष एवं पूर्व सचिव कार्यकारिणी तथा सर्व भार्गव एकता एवम् विकास समिति की बैठकों में स्थायी रूप से आमंत्रित होंगे। इन स्थायी समिति सदस्यों को बैठकों में मत देने का अधिकार होगा।
7.5 विशेष आमंत्रित: अध्यक्ष की अनुमति से अनुभवी व्यक्तियों को अपने विचार व्यक्त करने/सलाह देने तथा समिति के कायक्रमों में सहयोग देने हेतु कार्यकारिणी की बैठक में विशेष रूप से आमंत्रित किया जा सकता है जिनकी संख्या एक बैठक में 5 तक हो सकती है। इन विशेष आमंत्रित व्यक्तियों को बैठकों में मत देने का अधिकार नहीं होगा।
नोट:
1. सर्व भार्गव एकता एवम् विकास समिति के लेखा परीक्षक को स्थाई रूप से आमंत्रित किया जाएगा, परन्तु उन्हें मत देने का अधिकार नहीं होगा। परीक्षक को समिति का पदाधिकारी अथवा कार्यकारिणी सदस्य नहीं होना चाहिए।
2. स्थायी रूप से लेखा परीक्षक के अतिरिक्त कोई अन्य विशेष आमंत्रित नामित नहीं किया जा सकेगा।
3. स्थानीय समिति एवं अन्य सर्व भार्गव एकता एवम् विकास समिति से मनोनीत प्रतिनिधियों का नये सत्र से पूर्व के वर्ष में 30 जून को समिति का आजीवन सदस्य होना आवश्यक होगा। मनोनीत प्रतिनिधियों के नामों की सूचना निर्धारित प्रपत्र एवं विधि के अनुसार स्थानीय समिति सर्व भार्गव एकता एवम् विकास समिति के अध्यक्ष एवं सचिव के संयुक्त हस्ताक्षरों से नये सत्र से पूर्व के वर्ष में 15 फरवरी तक अध्यक्ष सचिव के कार्यालय में अवश्य पहुँच जाने चाहिये। नामों की सूचना के साथ जिस साधारण बैठक में मनोनयन हुआ है, उस साधारण बैठक के लिये जारी की गयी सूचना की प्रति बैठक में पारित प्रस्ताव की प्रति भेजना आवश्यक होगा।
4. नये सत्र के प्रारम्भ में सभी पदाधिकारियों एवं सदस्यों को सत्र को प्रथम कार्यकारिणी बैठक में अध्यक्ष द्वारा शपथ दिलाई जायेगी। अध्यक्ष को पूर्व अध्यक्ष द्वारा शपथ दिलाई जायेगी।
मनोनीत प्रतिनिधि भेजने हेतु निर्धारित प्रपत्र, नियम एवं विधि परिशिष्ट (टप्) पर देखें।
7.6 कार्यकारिणी सदस्यों द्वारा बैठकों में भाग लेना - कार्यकारिणी के जो निर्वाचित/मनोनीत सदस्य बिना सूचना के लगातार दो बैठकों में भाग नहीं लेते हैं तो सत्र के शेष भाग के लिए वे आमंत्रित नहीं किये जा सकते हैं।
कार्यकारिणी का कार्य संचालन -
1. कार्यकाल - साधारणतः कार्यकारिणी का कार्यकाल दो वर्ष का (1अप्रैल से प्रारम्भ) होगा। दो वर्ष के सत्र की समाप्ति तक भी नयी कार्यकारिणी का गठन न होने की स्थिति में तत्कालीन कार्यकारिणी का कार्यकाल स्वतः दो मास के लिए बढ़ जायेगा। इन दो मास के अन्दर न्यायाधिकरण अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए चुनाव कराकर नई कार्यकारिणी का गठन कर देगी।
2. बैठकें - कार्यकारिणी की बैठक साधारणतः वर्ष में 3 होंगी। विशेष कार्य के लिये आवश्यकतानुसार अतिरिक्त बैठक अथवा आपातकालीन बैठक बुलाई जा सकती है।
3. बैठक की सूचना - कार्यकारिणी समिति की बैठकों की सूचना सदस्यों को 21 दिन पूर्व भेजना अनिवार्य होगा। परन्तु आपातकालीन बैठक के लिये कारण बताते हुये 7 दिन की सूचना भी पर्याप्त होगी।
4. गणपूर्ति - गणपूर्ति के लिए 25 सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य होगी। विशेष आमंत्रित व्यक्तियों को गणपूर्ति के लिये नहीं गिना जायेगा और ना ही उन्हें मत देने का अधिकार होगा। गणपूर्ति न होने पर बैठक स्थगित करके पुनः बुलाई जा सकती है जिसमें गणपूर्ति होना आवश्यक नहीं होगी।
5. रिक्त स्थानों की पूर्ति - निर्वाचन के पश्चात् यदि कोई पदाधिकारी किसी भी कारणवश अपने पद को ग्रहण करने में या उस पद पर बने रहने में असमर्थ हो या किसी पदाधिकारी का स्वर्गवास हो जाये तो उस रिक्त पद की पूर्ति कार्यकारिणी के सदस्यों से निम्न प्रकार होगी -
अध्यक्ष ः उपाध्यक्ष द्वारा
सचिव ः वर्तमान में मनोनीत उप सचिव द्वारा
उपाध्यक्ष एवं कोषाध्यक्ष ः कार्यकारिणी द्वारा किसी भी कार्यकारिणी सदस्य को
मनोनीत करके।
कार्यकारिणी सदस्य ः निर्वाचित सदस्य का स्थान खाली रहेगा। मनोनीत सदस्य के स्थान पर मनोनीत करने वाली समिति/संस्था द्वारा अन्य नामित व्यक्ति।
उपर्युक्त नियुक्तियाँ आगामी सत्र तक मान्य होंगी।
कार्यकारिणी के अधिकार, कर्त्तव्य एवं दायित्व:-
1. अधिकार:-
कार्यकारिणी अपने कार्य संचालन के लिए ऐसे नियम बना सकेगी जो समिति के नियमों एवं ध्येय के विरूद्ध न हों।
साधारणतः कार्यकारिणी को स्वीकृत बजट के अनुसार व्यय करने का अधिकार है। कार्यकारिणी अपनी बैठक में संविधान के अन्त में दिये वर्तमान परिशिश्ट प्टए टए टप्ए टप्प् में आवश्यकतानुसार परिवर्तन कर सकती है जिसका बाद में साधारण अधिवेशन में अनुमोदन कराना होगा। इसी प्रकार कार्यकारिणी का एकता पत्रिका के शुल्क इत्यादि या इस संविधान में निश्चित किये किसी भी वर्तमान शुल्क/फीस में पविर्तन करने का अधिकार होगा, जिसके लिए साधारण समिति से अनुमोदन कराने की आवश्यकता नहीं होगी।
नियमों में छूट - विशेष परिस्थितियों में अगर किसी कारणवश, समिति के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु, किसी नियम में छूट देने की आवश्यकता प्रतीत हो तो कार्यकारिणी की बैठक में उपस्थित सदस्यों में से तीन चौथाई की सहमति से छूट प्रदान की जा सकती है, जिसका अनुमोदन समिति के आगामी अधिवेशन में कराना आवश्यक होगा।
2. कर्त्तव्य एवं दायित्व:-
समिति के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु समय-समय पर बनायी गयी आचार संहिता, प्रसारित दिशा निर्देश एवं अन्य नियमों को विभिन्न स्तरों पर क्रियान्वित कराने का मुख्य दायित्व कार्यकारिणी का होगा। कार्यकारिणी अपने तथा विभिन्न उपसमितियों के कार्य संचालन के लिये ऐसे नियम बनायेगी जो समिति के नियमों एवं उद्देश्यों के विरूद्ध न हों। उक्त नियमों की समीक्षा समय-समय पर की जायेगी।
कार्यकारिणी वार्षिक रिपोर्ट, गत वर्ष के आय-व्यय के तथा अगले वर्ष के अनुमानित आय-व्यय के प्रस्ताव और अन्य प्रस्तावों पर विचार करके सचिव को समिति के वार्षिक अधिवेशन में प्रस्तुत करने के लिये अधिकृत करेगी।
समिति को दिये जाने वाले अनुदानों और दानों को स्वीकार अथवा अस्वीकार करना।
धन को निवेश करने की स्वीकृति प्रदान करना।
आवश्यकतानुसार समिति के हित में कार्यकारिणी द्वारा मनोनीत वित्तीय समिति की अनुशंसा पर समिति की प्रतिभूतियों पर ऋण लेना, जिसका समिति के अगले अधिवेशन में अनुमोदन कराना आवश्यक होगा।
आवश्यकतानुसार बैंकों/पोस्ट ऑफिस इत्यादि में समिति के नाम का खाता खोलना।
समिति की अचल सम्पत्तियों के लिए बनाये गये नियमों के अनुपालन का प्राथमिक दायित्व कार्यकारिणी पर होगा, परन्तु निर्णयों को कार्यान्वित करने का दायित्व सचिव पर होगा।
कार्यकारिणी को, साधारण समिति की पूर्व प्राप्त स्वीकृति के बिना, उसकी चल अथवा अचल सम्पत्ति को बेचने, रहने, रखने का अधिकार नहीं होगा।
प्रत्येक बैठक की संक्षिप्त कार्यवाही एक रजिस्टर/कम्प्यूटराइज्ड अंकित की जायेगी तथा उस पर सचिव एवं अध्यक्ष के हस्ताक्षर होंगे।
कार्यकारिणी बैठकों/साधारण बैठकों में शालीनता का पालन:-
नये सत्र हेतु निर्वाचित पदाधिकारी, कार्यकारिणी सदस्य तथा मनोनीत सदस्यों का पहचान पत्र ऑटो जनरेट निर्गत किया जायेगा, जिसे बैठकों में भाग लेते समय लगाना अनिवार्य होगा। स्थानीय समितिं के पदाधिकारियों तथा अन्य आगन्तुकों को अलग बैठाने की व्यवस्था होनी चाहिये, परन्तु इन्हें किसी भी विषय पर बोलने का अधिकार नहीं होगा।
सर्व भार्गव एकता एवम् विकास समिति की कार्यकारिणी अथवा साधारण समिति में कोई भी सदस्य असंसदीय भाषा का प्रयोग नहीं करेगा। असंसदीय भाषा बोलने एवं अध्यक्ष के आदेशों की अवहेलना करने वाले सदस्य को बैठक से निष्कासित किया जा सकता है।
समितिसद पूर्व में लिखित सूचना, जिसमें विषय स्पष्ट हो, देते हुये अध्यक्ष से अनुमति लेकर अपने विचार व्यक्त कर सकेंगे।
समितियों का गठन:- समिति के उद्देश्यों की पूर्ति व कुशल कार्य सम्पादन तथा विशेष प्रयोजनों हेतु आवश्यकतानुसार समितियों का गठन नये सत्र की प्रथम कार्यकारिणी बैठक में सचिव प्रस्तुत कर अनुमोदन करायेंगे। कार्यकारिणी को समिति बनाने तथा उनकी कार्य प्रणाली, समय सीमा एवं अन्य नियम बनाने का अधिकार होगा। इन समितियों का कार्यकाल कार्यकारिणी के निर्णय पर निर्भर करेगा। किसी विशेष कार्य हेतु गठित समिति का कार्यकाल उक्त कार्य के समाप्त होने पर अथवा सत्र की समाप्ति पर स्वतः ही समाप्त हो जायेगा। आवश्यकता पड़ने पर कार्यकारिणी को उनका कार्यकाल समाप्त करने का, बढ़ाने का या उनका पुनः गठन करने का पूर्ण अधिकार होगा।
नोट:-
1. कार्यकारिणी सदस्य को कम से कम 2 समितियों में सदस्य नामित किया जायेगा।
2. एक समिति में अधिकतम 15 सदस्य कार्यकारिणी से एवं 5 विशेष आमंत्रित जिनका कार्यकारिणी सदस्य होना अनिवार्य नहीं है, नामित किये जा सकते हैं।
3. एक समिति में एक नगर से 5 से अधिक सदस्य नहीं होंगे।
4. स्मिति के अध्यक्ष एवं सचिव को कार्यकारिणी का सदस्य होना अनिवार्य होगा।
5. सर्व भार्गव.एकता एवं विकास.समिति के अध्यक्ष एवं सचिव सभी समितियों के पदेन सदस्य होंगे।
6. किसी भी समिति के सदस्य बिना सूचना एवं उचित कारणों के लगातार दो बैठकों में भाग नहीं लेते हैं तो संबंधित समिति के अध्यक्ष/संयोजक को उनके स्थान पर अन्य को नामित करने का अधिकार होगा।
7. शिक्षा समिति, समाज कल्याण समिति एवं केन्द्रीय जायदाद समिति के कार्यक्षेत्र एवं नियम इत्यादि के लिए क्रमशः परिशिष्ट प् और परिशिष्ट प्प् देखें।